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What is Learning?

What is Learning?

শিখতে শেখা অনুষ্ঠানে আপনাদেরকে স্বাগত জানাচ্ছি।
আমার নাম টেরি সেনোস্কি। 
মানুষের ব্রেন কেমন হয় চলুন আপনাদেরকে দেখাই।
চলুন প্রথমে একটা সার্জারি করি। 
এরপর উপরের হাড় সরিয়ে ব্রেন করে নিয়ে আসি।
এই মস্তিস্কের ওজন তিন পাউন্ড। ওজন অনুপাতে এটা শরীরের অন্য অংশের 
তুলনায় দশগুণ বেশী শক্তি ব্যবহার করে, এটি শরীরের সবচেয়ে দামী অঙ্গ। 
মানব মস্তিস্ক বিশ্বব্রক্ষ্মাণ্ডের সবচেয়ে জটিল যন্ত্র। 
আমাদের চিন্তাভাবনা, আশা-আকাঙ্খা, ভয় সবকিছু ব্রেনের নিউরনের মধ্যে রাখা থাকে।
দাবা অথবা অঙ্কে কেউ ভালো হলে আমরা মুগ্ধ হই,
এসবে দক্ষতা অর্জন করতে বেশ সময় লাগে। 
অবাক ব্যাপার যে ডিজিটাল কম্পিউটার মানুষের চেয়ে অনেক ভালভাবে এই খেলা খেলে।
আমরা সহজে করি বলে ভাবা হতো এসব সহজ, 
তাই যখন জানা গেল শোনা, ছোঁয়া, দৌড়ান এগুলো 
জটিল কর্মকাণ্ড, সবাই অবাক হয়েছিল, 
বিষয়গুলো এত দুরুহ যে পৃথিবীর দ্রুততম কম্পিউটারও এই কাজগুলো করতে অক্ষম।
এই আলোচনা থেকে বুঝলাম মস্তিস্ক কিভাবে কাজ করে তা আমাদের জানা নেই। 
ব্রেন সুক্ষ পরিচালনায় জটিল পরিবেশে চলতে আমাদের সাহায্য করে, 
এই পুরোকাজটা চলে আমদের চেতনার অগোচরে।
আমদের বেঁচে থাকার জন্য মস্তিস্কের কর্মকাণ্ড জানার কোন প্রয়োজন নেই।
মনোবিজ্ঞানীগণ অবচেতন মনের উপর গবেষণা করে জেনেছেন যে 
আমাদের চিন্তা-প্রক্রিয়া, স্মরণশক্তি, আবেগ, উৎসাহ সবকিছুর উপর ব্রেনের প্রভাব রয়েছে।
ব্রেন ইমেজিং টেকনিক আবিষ্কার হওয়ায় আগ পর্যন্ত ব্রেনের জটিল কাজকর্মের খুব সামান্যই জানা গিয়েছিল,
এই পদ্ধতি বের হওয়ার পর বিজ্ঞানীগণ এটি ভালভাবে ব্যবহার করেন।
একজন মানুষকে স্থিরভাবে শুইয়ে ব্রেনস্ক্যান মেশিনে ঢুকালে 
এরকম ব্রেনের কার্যক্রমের প্রতিচ্ছবি দেখা যাবে,
বামের ছবিটা ব্রেনের একপাশের আর 
ডানের ছবিটা মাথার মাঝ বরাবর একটা টুকরার ছবি।
ব্রেনের একটা অংশের সাথে অন্য অংশের সংযোগ হলে সেগুলোকে ছবিতে একই রঙয়ে দেখানও হয়েছে,
এখানে সময়ের সাথে ব্রেনের কাজের সম্পর্ক এবং একই রঙ দিয়ে এক সাথে কাজ করা অংশ দেখানো হয়েছে।
ছবিতে যে নীল অংশ দেখা যাচ্ছে এটাকে কাজ করতে দেখা গেছে যখন মানুষটা আশেপাশের সকলের সাথে কথা বলেছে, 
যখন সে ঘুমিয়েছে তখন এই অংশ থেমে গেছে।
মানুষটা যখন ঘুমিয়েছে তখন ব্রেনের লাল-কমলা অংশ কাজ করেছে, 
এটাই আমাদের ব্রেনের ডিফল্ট কর্মক্ষেত্র। 
ব্রেনে আরো কিছু জায়গা আছে যেগুলো বিশ্রাম বা ঘুম অবস্থায় বেশী কাজ করে, 
এই অংশগুলোকে কাজে মিল অনুযায়ী আরও কয়েক ভাগে ভাগ করা যেতে পারে। 
ব্রেনের ডিফ্লট অংশ নিয়ে গবেষণা নতুন, এতে জানার বিষয়ও প্রচুর, 
মস্তিস্কের কোন কোন অংশ ডিফল্ট প্রক্রিয়ায় কি কি কাজ করে, সবকিছু জানতে সময় লাগবে। 
মানুষের ব্রেনে লক্ষ কোটি সিন্যাপ্স (synapses) আছে, এসব সিন্যাপ্সে স্মৃতি জমা থাকে। 
আগে বিজ্ঞানীদের ধারণা ছিল মস্তিস্ক পূর্ণতা পেয়ে গেলে সিন্যাপ্সের সংযোগের ধরণ আর পরিবর্তন হয় না, 
নতুন জিনিষ শিখে সিন্যাপ্সের শক্তিসামর্থ্য বাড়ান যায়, 
যতদিন না ব্রেনের কোন ক্ষতি হয়। 
কিনতু নতুন জানা তথ্য বলছে যে ব্রেনে প্রতিনিয়ত নতুন নতুন সংযোগ তৈরি হচ্ছে, 
এটা বয়স বাড়ার পরও হতে থাকে।
সূক্ষ্মাতিসূক্ষ্ম জিনিস দেখা এবং ছবি তোলার 
নতুন টেকনিক বের হওয়ায় অতি ক্ষুদ্র নিউরন সংযোগ বা সিন্যাপ্সের 
ভিতরেও আমরা দেখতে পাচ্ছি, সেখানে প্রতিনিয়ত নতুন সিন্যাপ্স তৈরি হতে এবং কিছু কিছু মিলিয়ে যেতে দেখা যাচ্ছে। 
এই দৃশ্য বিজ্ঞানীদের ভাবিয়ে তুলেছিল। 
এমন পরিবর্তনের মধ্যে কিভাবে দীর্ঘ জীবনে মানুষের পুরনো মনে থাকে? 
এটা একটা নিউরনের একটা শাখার ( ডেন্ড্রাইট ) ছবি 
নতুন কিছু ঘটনার পর এই ডেন্ড্রাইটের কি অবস্থা হয় আমরা দেখব। 
ডেন্ড্রাইটের উপর উঁচু উঁচু অংশগুলোতে সিন্যাপ্স হয়েছে। 
প্রথম ছবিটা কোন ট্রেনিং এর আগের অবস্থা। 
নীচের ছবিটা একই ডেন্ড্রাইটের ট্রেনিং এবং ঘুমের পরে। 
খেয়াল করুন বেশ কয়েকটা নতুন সিন্যাপ্স 
ঐ ডেন্ড্রাইটে দেখা যাচ্ছে, ছবিতে তীরের মাথার দিয়ে দেখান। 
এভাবে এখন বিজ্ঞানীরা জীবন্ত প্রানীর ব্রেনের ভিতরে দেখছেন। 
ব্রেন ইমেজিং টেকনিক একটা অসাধারণ আবিষ্কার।
একটা সিন্যাপ্সের ব্যাস এক মাইক্রনের কম। 
তুলনা করে বললে মানুষের চুলের ব্যাস ২০ মাইক্রন।
যখন কিছু শেখা হয় তখন ব্রেনে কি ঘটে, এই টেকনিক আমাদের তা দেখিয়েছে 
ব্রেন ইমেজিং আসলে আলো অনুবীক্ষণ এতে সবচেয়ে জোড়াল আলো ব্যবহার হয়
এই আধুনিক যন্ত্র আমাদের দেখাচ্ছে, 
এই আধুনিক যন্ত্র আমাদের দেখাল রাত শেষে এমনকি ছোট ঘুমের পরও মানুষ আর আগের মত থাকে না। 
আমরা এক মস্তিস্ক নিয়ে ঘুমাই, জেগে উঠি নতুন আরেকটা নিয়ে। 
এটা মাইক্রোসফটের চেয়ে অনেক ভাল ব্যবস্থা। 
বিখ্যাত ইংরেজী কবি সেক্সপিয়ার এটা জানতেন।
এজন্য ম্যাকবেথকে দেখেছি না ঘুমাতে পেরে হাহাকার করতে।
ঘুম তুমি বুনে রাখ দিনের কথা স্মৃতির পাতায়, নিয়ে চল বেলা শেষে নতুন দিনের দরজায়। 
ঘুম তুমি দিনের ক্লান্তি দূর করে শ্রান্তি দাও, মনের কষ্ট মুছে দিয়ে স্বস্তির হাত বাড়াও। 
ঘুম প্রকৃতির পরম আদর, সুখের চাদর, বাঁচাও জীবন পুষ্টি দিয়ে নতুন করে সৃজন করে।
এখানে আমরা দেখছি সেক্সপিয়ার বোনা কাপড়ের সাথে ঘুমের তুলনা করেছেন, 
ঘুম যেন দিনের অভিজ্ঞতা, আশা-আকাংখা, শঙ্কার সূতায় 
স্মৃতি-নকশা এঁকে জীবনকে রাঙিয়ে তোলে। 
প্রথম সপ্তাহের পড়াশোনা থেকে আপনারা শিখবেন কিভাবে ঘুম এবং অবচেতন ভাবনা থেকে 
নতুন কিছু শেখায় এবং সমস্যা সমাধানে কিছু সুবিধা আদায় করে নেওয়া যায়।
এই লেকচার শুনতে শুনতে আপনার মনে হতে পারে, মস্তিস্ক কিভাবে কাজ করে ? 
এই উত্তর জানার একটা জায়গা হল brainfacts.org নামের ওয়েবসাইট,
ব্রেনফ্যাক্টস একশব্দে লিখতে হবে, তারপর ডট অরগ।
এই সাইটে ব্রেন এবং ব্রেনের কার্যপ্রণালী সম্পর্কে চমৎকার সব তথ্য দেয়া আছে, 
বিশেষভাবে শেখা এবং স্মৃতি বিষয়ে। 
আমি টেরি সেনোস্কি! 
আপনাদের শেখা আনন্দময় হোক, আবার দেখা হবে।


Introduction to the Focused and Diffuse Modes:
आप क्या करते हैं, जब यह समझ न आये कि अब क्या करना है? Zombies के लिये, यह बहुत सरल है. वे लगातार अपना सिर दीवार पर टकरा सकते हैं. परंतु जीवित मस्तिष्क अधिक जटिल होते हैं. ऐसा पाया गया है, कि यदि आपको मस्तिष्क की कार्य प्रणाली के बारे में कुछ मूल तथ्यों की जानकारी हो, तो आप बिना हतोत्साहित हुए अधिकाधिक सीख सकते हैं. अनुसंधानकर्ताओं ने ऐसा पाया कि हमारे पास मौलिक रूप से चिंतन या सोच विचार की दो प्रणालियाँ होती हैं. यहाँ मैं उन्हे 'केन्द्रित' एवम् 'विसरित' प्रणालियाँ कहूँगी हम ध्यान केन्द्रित करने से भलीभांती परिचित हैं जब हम किसी विषय पर, जिसे हम सीखने का प्रयास कर रहे हैं, एकाग्रचित होकर ध्यान लगाते हैं परंतु हम सोचने कि 'विसरित' प्रणाली से अधिक परिचित नहीं हैं ऐसा पाया गया की यह अधिक अरामदायक चिंतन शैली मानसिक तंत्रिकाओं के विश्राम की एक स्थिति से सम्बंधित है हम 'पिनबॉल गेम' की समानता का प्रयोग करेंगे इन दो विभिन्न प्रकार की चिंतन प्रणालियों को समझने के लिये संयोगवश, दोनो 'अन्योक्ति' एवम् 'समानता' वास्तविकता में, कुछ भी नया सीखने में अत्यधिक लाभकारी होते हैं अगर आप याद करें , pinball कैसे खेलें, आप सवार वापस खींचके छोड़ देते है एक गेंद टकराते बाहर चला जाता है और आपको अंक मिलते है यहाँ आपका दिमाग़ है, और आपकी आँखे उपर की तरफ देख रही है और हम पिनबॉल मशीन उसके अंदर रख सकते हैं. ऐसे यह ध्यान केंद्रित मोड की तरह है नीले बंपर आसपास है यह नारंगी पैटर्न जो ऊपर दिख रहा है ना, वो एक परिचित विचार पॅटर्न का प्रतिनिधित्व करता है शायद कुछ आसान चीज़ के लिई, जैसे गिनती करना, या ज़्यादा उन्नतविचार, जैसे साहित्यिक आलोचना, या परिसंचारी विद्युत चुम्बकीय प्रवाह आप विचार करते है, और पिनबॉल सुचारू रूप से चलता है और जब वो बमपरओं से टकराता हुआ गिरता है आप अपनी समस्या का हल ठूंड लेते है या अवधारणा को समझ लेते हैं जिसकी सामान्ता उस संकल्पना से हो जिससे आप परिचित हैं तो फिर देखिए कितने सुचारू रूप से वो विचार चलता है उस आधारभूत धूंधुले नारंगी नर्सजाल-संबंधी पथ पर किसी अर्थ में वो जाने-पहचाने पक्के पथ पर चलता है क्या हो अगर जिस समस्या पर आप काम कर रहे हों उसमे नए विचार और दृष्टिकोण अपेक्षित हों? या अवधारणाओं जिनपे आपने कभी विचार नहीं किया हो? उसका हम इस तंत्रिका पैटर्न से प्रतीक कर रहे हैं जो आप पिनबॉल मशीन के निचले हिस्से पर देख सकते हैं पर अगर आपने उसके सम्भन्दित कभी सोच-विचार किया ही ना हो, आपको इसकी जानकारी भी नहीं होगी की वो ढाँचा कैसा और कहाँ पर है तो फिर आप कैसे जन्म देंगे आख़िर ऐसे विचारों को? तो फिर आप ना अभी उसका पता जानते हैं, और ना ही की वो कैसा दिखता है, पर दिखते हैं तो सिफ्र यह रब्बर के बमपर जो आपका रास्ता रोकते हैं इस नये प्रकार की सोच के लिए ज़रूरत है तो सोच विचार की एक नयी प्रणाली की जिसको हम कहते हैं 'विसरित' प्रणाली, जो यहाँ दाहिने तर्फ दिखाई गयी है यहाँ आप देख सकते हैं की रब्बर के बमपर फैले हुए हैं विचारधारा की गेंद देखिए अब कैसे बिना टकराए दूर तक का सफर तए कर सकती है 'विसरित' प्रणाली का उपयोग करके आप एक अलग दृष्टि, एक अलग नज़रिए से व्यापक दृष्टिकोण का लाभ उठा सकते हैं नये रास्तों का सफर करके आप नये तंत्रिका कनेक्शन बनाते हैं हां आप इतने केन्द्रित ना हो सकें जितना आप होना चाहते हैं जितना किस्सी गंभीर प्रश्न का उत्‍तर प्राप्त करने के लिए होना होता है या किस्सी संकल्पना को पूरी बारीकी से समझने में लगता है पर कम से कम आप एक ऐसे मंज़िल पे पहुँच जाते हैं जहाँ से प्रश्न के उत्तर का रास्ता सफाई से दिखता है जहाँ तक मस्तिष्क के वैज्ञानिक समझ पाए हैं सोच विचार में हम या तो 'केन्द्रित' या 'विसरित' प्रणालियों का उपयोग करते हैं ऐसा माना जाता है की इन दो प्रणालियों का उपयोग एक साथ, एक ही वक़्त में नहीं हो सकता समझने के लिए एक सिक्के के प्रकार जैसे हम सिक्के का उपरली हिस्सा ही देख सकते हैं दोनों पहलू नहीं सोच विचार की एक प्रणाली का उपयोग करना दूसरी प्रणाली को पहुँच के बाहर कर देता है अगले वीडियो में हम जानेंगे कैसे कुछ असाधारण और प्रसिध व्यक्ति अपनी विसरित प्रणाली का उपयोग करते हैं महान कार्यों के लिए सीखना कैसे सीखें के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए धन्यवाद | मैं हूँ बार्बरा ओक्ली | [रिक्त_ऑडियो]



Terrence Sejnowski and Barbara Oakley--Introduction to the Course Structure:

শিখতে শেখা অনুষ্ঠানে তোমাদেরকে স্বাগতম।
মস্তিস্কের ক্ষমতা অসাধারণ, আরও আশ্চর্যকর ব্যাপার যে এর কোন ব্যবহার নির্দেশনামা নেই। 
আমাদের মস্তিস্কের সবচেয়ে বড় উপহার হোল 
প্রতিদিন আমাদেরকে নতুন নতুন জিনিস শিখতে দেয়া।
আজকে এখানে আসতে আসতে ভাবছিলাম অল্প কিছু দিনে যখন আমরা 
এই কোর্সটা শেষ করব তখন কিছুই না নতুন ব্যাপার জানা হবে। 
এই কোর্সের উদ্দেশ্য হোল আমরা কিভাবে শিখি এটা তোমাদেরকে 
ভালোভাবে বোঝানো যেন তোমাদের ব্রেনও ভালো শিখতে পারে।
এই আলোচনার তথ্য-উপাত্ত নেয়া হয়েছে 
স্নায়ুবিজ্ঞান ও বুদ্ধিবৃত্তির মনোবিজ্ঞান বিষয়ে পরিচালিত গবেষণা থেকে, 
এখানে বিভিন্ন বিখ্যাত শিক্ষক এবং বিশেষজ্ঞদের
(কঠিন বিষয় সমূহের) দেয়া পরামর্শগুলো তোমাদের জানানো হবে। 
তুমি একজন নতুন শিক্ষাথী বা অভিজ্ঞ ব্যক্তি, যেই হও না কেন এই কোর্স 
নতুন কিছু শিখতে, বিশেষ করে অংক এবং বিজ্ঞান বিষয়ে 
তোমার দক্ষতা এবং নৈপুণ্য বাড়িয়ে দেবে।
শেখার ব্যাপারে কি মনোভাব রাখা উচিত, কিভাবে শিখতে না পারার 
হতাশা কমানো যেতে পারে এবং কি নিয়মে আরো ভালোভাবে 
পড়া বোঝা সম্ভব এসব কিছু জানতে এই কোর্স তোমাকে সাহায্য করবে। 
আমরা একটু অন্যভাবে শিক্ষার্থীদের কাছে পৌঁছাতে চাই।
আমাদের কোর্সে আসার জন্য তোমাদের কোন বিষয়ে পূর্বদক্ষতার 
প্রয়োজন নেই, আমরা বিশ্বাস করি এই শিক্ষা গ্রহণ করে তোমরা 
যে বিষয় শিখতে, আরো ভালোভাবে জানতে চাও 
সেটার মূলবিষয়টা, কার্যকরভাবে এবং হতাশ মনোভাব ছাড়া শিখতে 
এই কোর্স তোমাকে সাহায্য করবে। 
এই কোর্সে তোমরা বিভিন্ন বিষয়ে বিশেষজ্ঞদের সাথে আলোচনা শুনবে
তাঁরা সকলে ভালোভাবে শেখার নানান বুদ্ধি বাতলে দেবেন। 
বিশেষজ্ঞদের এসব পরামর্শ তোমাদের অনেক উপকারে আসবে, 
এখন তুমি স্কুলের ছাত্র হও, কি অংক বা বিজ্ঞানে স্নাতকের তুখোড় ছাত্র হও।
আমি ক্যালিফোর্নিয়ার লা হইয়াতে ( La Jolla, California) জাতীয় বিজ্ঞান ফাউন্ডেশনের তত্ত্বাবধানে
পরিচালিত বিজ্ঞান এবং শিক্ষন কেন্দ্রের (Science and Learning Center) সহপরিচালক। 
গত কয়েক বছরে স্নায়ুবিজ্ঞান বিষয়ে গবেষণায় প্রভূত অগ্রগতি 
ঘটায় আমরা জানতে পেরেছি কি উপায়ে সফলভাবে শেখা যায়। 
সবচেয়ে সহজ এবং কার্যকরভাবে এসব কথা তোমাদেরকে জানানোর পথ খুঁজে পেতে 
আমাদেরকে খুব খাটতে হয়েছে, তবে এমন মহৎ কাজ এই পরিশ্রমের যোগ্য। 
তোমরা দেখবে যে এই কোর্সের অনেক ধারণা খুব সাধারণ, তবে এগুলো অসাধারণ শক্তিশালী।
তোমাদেরকে শেখাতে যেয়ে আমরা নিজেরাও নতুনভাবে শিখব।
তোমরা জানবে সত্যি সত্যি না শিখেও 
শেখা হয়েছে এমন ভাব করে কিভাবে ব্রেনকে ধোঁকা দেয়া যায়।
মনোযোগ ধরে রাখা আর গভীর এবং শক্তিশালীভাবে
শেখা বিষয়গুলো মনে গেঁথে ফেলার নতুন নিয়ম তোমরা শিখবে । 
কোন বিষয়ের মূল ধারণাগুলোকে আত্মস্থ করতে শিখবে 
এরপর এই কোর্সের পরামর্শ মত 
সহজ এবং সুন্দরভাবে ঐ ধারণাগুলোকে কাজে লাগাতেও জানবে। 
আরো জানবে কিভাবে গড়িমসি থেকে দূরে থাকা যায়। 
এসব উপদেশ তোমাদেরকে ভালোভাবে শিখতে সাহায্য করবে আর নিরাশাকে দূরে সরাবে। 
এই কোর্স তোমাদের পড়ালেখা এবং তোমাদের জীবন উভয়কেই প্রভাবিত করতে সক্ষম। 
তোমরা যতখানি চাও ততখানি ফায়দা আদায় করে নিতে পারবে। 
এই কোর্সে স্বাগতম, আশাকরি তোমাদের শেখা আনন্দময় হবে।



Using the Focused and Diffuse Modes--Or, a Little Dali will do You:

[শুন্য শব্দ] আসুন, বিখ্যাত ক’জন ব্যক্তির জীবন ইতিহাস থেকে আমরা দেখি কিভাবে তারা চিন্তারীতির বিভিন্ন ধারা ব্যবহার করে সৃজনশীল সমস্যার সমাধান করেছেন । এই যে যাকে দেখছেন, ইনি বিংশ শতাব্দির একজন নামকরা পরাবাস্তববাদী (সাররিয়ালিষ্ট) চিত্রকর, সালভাদর দালি । খামখেয়ালী এবং পাগলাটে বলতে যা বোঝায়, উনি ছিলেন একেবারে সেরকম। ছবিতে দেখুন দালি তার পোষা জংলী বিড়াল বাবুউ’র সংগে । অসাধারণ সুন্দর পরাবাস্তব চিত্রকলা সৃষ্টিতে দালি আজব কিছু কলাকৌশল অবলম্বন করতেন । অনেক সময় দালি একটা চেয়ারে আরাম করে বসে মনটা সম্পর্ণ মুক্তভাবে বিচরণ করতে দিতেন । যে বিষয় নিয়ে কাজ করছিলেন সেরকম একটা ভাবনা হালকাভাবে মস্তিস্কে ঘুরে বেড়াতো । একগোছা চাবি হাতে নিয়ে মেঝের একটু উপরে দোলাতে দোলাতে দালি ইচ্ছাকৃতভাবে আধো-তন্দ্রা বা ঝিমুনি ভাবে সময় পার করতেন । একসময় সত্যি ঘুমঘোরে প্রবেশ করতেন স্বপ্নের ভুবনে, সেখান ডিফিউজ চিন্তা প্রধায় প্রাপ্ত নতুন নিউরাল সংযোগ এবং অভিনব সব ধ্যানধারণা সাথে করে জেগে উঠতেন চাবির গোছা মেঝেতে পড়ার শব্দে । এরপর সদ্য সংগৃহীত এসব তথ্য এবং কল্পনা নিয়ে চিত্রকর দালি ফোকাস চিন্তার ভুবনে নিরবিচ্ছিন্ন কর্মযোগে নবনতুন চিত্রকলা সৃষ্টি করেছেন। এখন হয়ত আপনি ভাবছেন যে, একজন চিত্রকরের পক্ষে এটা সম্ভব হলেও, জটিল অঙ্কশাস্ত্র বা বিজ্ঞানের ক্ষেত্রে কি এ ধরণের চিন্তারীতি অবলম্বন করা চলবে? তাহলে নীচের ছবিতে একে দেখুন, ইনি টমাস এডিসন, জগৎজোড়া বিখ্যাত মণিষীদের অন্যতম একজন । শোনা যায় যে, এডিসন বল বেয়ারিং হাতে চেয়ারে বসে বিশ্রাম নিতেন । এরপর তিনি তার বিজ্ঞানের ভাবনাগুলোকে একেবারে স্বাধীন করে ছেড়ে দিতেন, এর আগেই যে সমস্যাটা নিয়ে ভাবছিলেন ঐ ভাবনাগুলো এবং আরো অন্যান্য সব ভাবনা চারিদিকে ইচ্ছামতো প্রবাহিত হওয়ার সুযোগ পেতো । ঘুমে এলিয়ে পড়ার সাথে সাথে এডিসনের হাত থেকে বল বেয়ারিং সশব্দে মাটিতে পড়লে সাথে সাথে দালির মত জেগে উঠতেন তিনি । এডিসন জানতেন এবং তৈরি থাকতেন তৎক্ষনাৎ ডিফিউজ অবস্থার নতুন প্রসূত ভাবনাগুলো ফোকাসড কর্মক্ষেত্রে কাজে লাগিয়ে আরো অভিনব আবিষ্কারে নিযুক্ত হতে । শেষ কথা হলো এই যে, যখনই আপনি নতুন কিছু শিখতে চাইবেন, বিশেষভাবে সেটা যদি কঠিন কিছু হয়, তাহলে ফোকাসড এবং ডিফিউজ, উভয় চিন্তারীতির সাহায্য গ্রহণ করলে ভাল হয় । এভাবে সহজে শেখা যায় । উদাহরণ দিতে হলে ব্যাপারটা অনেকখানি ভারোত্তলন ব্যবহার করে শক্তিমত্তা বৃদ্ধির নিয়মের সাথে তুলনা করা চলে । প্রতিযোগিতায় অংশগ্রহণ করতে চাইলে কেউ কখনও অনুশীলন ছাড়া বসে কাটিয়ে তারপর পরীক্ষার দিনে সারাদিন ব্যায়াম করলেও যেমন কোন ভাল ফলাফল পাবে না, শেখার ব্যাপারটা তেমনই । মাংসপেশী গড়ে তোলার জন্য রোজ ব্যায়াম করা প্রয়োজন, এভাবেই ধীরে ধীরে শরীর গড়ে উঠে, শক্তিবৃদ্ধি হয় । সেরকম নিয়মিত নতুন বিষয়ে চিন্তার অভ্যাস করে ব্রেনের স্নায়ুতন্ত্র সবলভাবে গড়ে তুলতে হবে, ভার গ্রহণ করার মত সতেজ থাকে । রোজ একটু একটু শেখা, এটাই মূলমন্ত্র । সংক্ষেপে, আমরা শিখলাম যে উদাহরণ ব্যবহার করলে শেখা সহজ হয় । আমরা আরো শিখলাম ব্রেন দু’ধরণের চিন্তারীতিতে অভ্যস্ত, ফোকাসড এবং ডিফিউজ, দু’টা নিয়মেই আমরা শিখতে পারি। সবশেষে আমরা শিখলাম কঠিন কিছু শিখতে সময় দিতে হয়। শেখার পর্যায়ক্রমে এক চিন্তা পদ্ধতি থেকে অন্য পদ্ধতিতে ভ্রমণ কালে নিউরনগুলো নতুন তথ্য নেড়ে-চেড়ে, বেছে নিজের মত করে আতস্থ করে নিতে সক্ষম হয় । শেখার বিষয়ে শেখার জন্য, আমী বার্বরা ওক্লী।

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জমি জমা

 = ''খতিয়ান'' কি? = ''সি এস খতিয়ান'' কি? = ''এস এ খতিয়ান'' কি? = ''আর এস খতিয়ান'...